प्रतीक्षा 30 वर्ष की

कहा जाता है कि जो फिल्में हम सिनेमा हॉल या घरों में टेलीविजन पर देखते हैं उनमें से कुछ फिल्मों की कहानियां इंसानी जीवन से मिलती-जुलती हैं या किसी सच्ची घटनाओं पर आधारित रहती हैं बस उनके पात्र और घटनाओं की जगह को पर्दे पर परिवर्तित कर दिया जाता है, व्हाट्सएप ,फेसबुक, टि्वटर सोशल मीडिया के चरम युग में यह कहानी  आपको बिल्कुल काल्पनिक लगेगी लेकिन यकीन मानिए इस कहानी के पात्र और यह किस्सा बिल्कुल सत्य घटना पर लिखी जा रही है, कई दिनों से इस घटना को शब्दों के द्वारा आप सब के मन मस्तिक तक पहुंचाने की पुरजोर प्रयास में लगा हुआ था खैर आज वह दिन आ गया है जब मैं आप सबको इस बेहद फिल्मी घटित घटना को आप सब के सामने अपने शब्दों के माध्यम से प्रसारित करने की कोशिश कर रहा हूं, मुझे नहीं पता कि मैं इस घटना को अपने शब्दों के माध्यम से कितना आप सबके समक्ष प्रस्तुत कर पाऊंगा लेकिन एक कोशिश कर रहा हूं, जिन लोगों के साथ यह बुरा दौर गुजरा है वह अभी इस धरा पर मौजूद है मुझे पता है शायद मेरे लेख को पढ़कर उन्हें तकलीफ भी महसूस होगी पर मुझे लगता है की इस कहानी को उन सब तक पहुंचाना भी बेहद जरूरी है, क्योंकि इस कहानी में कुछ निर्दोषों को भी 30 साल वनवास की कठोर सजा से नवाजा गया है।

कहते हैं कि अपना लहू पुकारता है आप उससे कभी दूर नहीं जा सकते दुर्भाग्य से कभी आप बहुत दूर चले भी गए तो जीवन में कभी ना कभी एक बार लौटकर उन तक जरूर पहुंचेंगे जिनकी रगों में भी आपका ही लहू दौड़ रहा हो, यह कहानी एक बेहद संघर्षरत युवा की है जो अपने जन्म से लेकर अपने जीवन के 30 वर्षों तक अपनों की तलाश करता रहा,
कभी-कभी अपनो के द्वारा आप को दिया गया राय आपके लिए गलत निर्णय साबित हो जाता है जिससे आप कई कदम पीछे चले जाते है और वह पीछे के फासलों को तय करने का जो समय होता है वह बड़ा लंबा हो जाता है, लेकिन जिंदगी में कभी हार ना मानने की ज़िद और दृढ़ संकल्प आपको अपने मुकाम पर एक ना एक दिन पहुंचा देता है , इंसान को अपनी जिंदगी में दृढ़ संकल्पवादी होना चाहिए खैर अब कहानी पर आते हैं क्योंकि जो पढ़ने वाले लोग होते हैं वह इतने समझदार होते हैं कि कम शब्दों में पूरी कहानी का मर्म प्राप्त कर लेते हैं, 
90 के दशक में घटित हुई घटना ने एक साथ कई परिवारों की खुशियां छीन ली जिस दौर में मैट्रिक की पढ़ाई करने वाले लोगों को भी समाज में बेहद सम्मान और पढ़ा लिखा होने का दर्जा प्राप्त होता है उस दौर में एक बेहद सौम्य स्वभाव और बेहद संस्कारी परिवार के संस्कारों से परिपूर्ण उस दौर की एम ए ,बी ए की शिक्षा ग्रहण कर अन्य जरूरतमंदों को शिक्षा देने वाली ब्राह्मण घर के एक लड़की की कहानी है जिसके साथ वक्त ने बडी नाइंसाफी की हालांकि होनी को कोई टाल नहीं सकता क्योंकि होनी तो होनी ही होती है उसमें किरदार भले ही बदल जाए पर जो होना है वह हो जाता है वो अपने परिवार में चार भाइयों में सबसे बड़ी थी अपने परिवार मैं सबसे लाडली और 90 के दशक में उच्च शिक्षा ग्रहण करने की कारण गांव के लोगों में भी उनका बड़ा सम्मान था उनकी शादी एक अपात्र युवक से हो गई जो उन उनके क्या किसी भी स्त्री के स्वामी बनने के लायक नहीं था जिसने अपने कृत्य से उन्हें कई वर्षों तक प्रताड़ित किया वह समय के साथ सब ठीक होने का दिलासा देती रही अपने आप को लेकिन यह दौर बहुत लंबा न चल सका विवाह के उपरांत उन्होंने एक के बाद एक तीन पुत्रियों को जन्म दिया पुत्र की लालसा में वो जीवन से संघर्ष करती रही पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन वह पुत्र बड़ा अभागा निकला उसके जन्म के कुछ ही माह बाद उन्हें इस दुनिया को अलविदा कहना पड़ा पुत्र के जन्म लेने महज दो या तीन माह के बाद ही उन्होंने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली, जिसके बाद उस व्यक्ति के बर्बादियों का सिलसिला शुरू हुआ जिसमें धन, वैभव सामाजिक मान, मर्यादा सब कुछ विलुप्त हो गया , समय का चक्र अपनी धुरी पर चलता रहा एक वक्त ऐसा भी आया जब उस व्यक्ति के बच्चों को अपना पेट भरने के लिए दूसरे की घरों की चौखट पर भी नजरें टिकानी पड़ी जिंदगी के सफर में बीच-बीच में कभी-कभी जिंदगी की रेल पटरी पर भी आई तो कुछ दूरी जाकर डी रेल हो गई संघर्ष के वह दिन गरीबी लाचारी बेबसी की प्रकाष्ठा को भी चिढ़ा रहे थे दुनियां की रीत है समाज में आपको तभी मान, सम्मान प्रतिष्ठा,मिलता है जब आपके बापदादा का भी चाल चलन सामाजिक तौर पर अच्छा कहा जाए अन्यथा आपको लोहे के चने अपनी दातों से ही चबाने है वक्त बीतता गया उस व्यक्ति के 4 बच्चे बिना मां बाप के अपने जीवन जीने के लिए समाज में संघर्ष करते रहे तीन लड़कियां और एक लड़का जो इन सब में सबसे छोटा था जिंदगी जीने की जद्दोजहद में एक-एक दिन काटते रहे कोई पूछने वाला नहीं था क्या है कैसे हैं और ऐसा क्यों है, बीच में कुछ स्थितियां सही हुई जब कुछ वर्षों तक उस व्यक्ति ने अपने होश संभाले और अपने बच्चों को पढ़ाने और खिलाने की भी सुध ली हर वक्त बिता गया और अब उसका सबसे छोटा बच्चा बुद्धि विवेक में अपनी बहनों में सबसे बड़ा हो गया था संघर्ष से उत्पन्न हुआ किरदार समाज में कहीं ना कहीं तो पहुंच ही जाता है हुआ भी कुछ ऐसा होश संभालते ही उस व्यक्ति के लड़के ने अपने बाप की जिम्मेदारियों को अपने कंधे पर ले लिया और पढ़ाई नौकरी दिन रात की मेहनत करते करते किसी तरीके से अपने कुछ करीबी रिश्तेदारों की मदद से अपनी बहनों की शादी की उसकी तीनों बहनों की शादियां अच्छे तरीके से संपन्न हुई और वह सब अभी बहुत सुखी हैं, समय का चक्र इतना तेज है कि यह दौर 30 वर्षों तक का सफर तय कर ले गया, लड़का कभी अपने करीबी रिश्तेदारों से अपनी मां के घर वालों के बारे में जानने की कोशिश करता या बात होती तो सब डरा देते कि तुम्हारे पिता ने ऐसा किया है वैसा किया तुम तो वहां भूलकर भी ना जाना वरना पता नहीं वो लोग तुम्हारे साथ क्या करें पर अपने लहू की पुकार से कोई बच नहीं सकता वह एक ना एक दिन अपना रंग दिखा ही देता है वो लड़का हमेशा यह सोचता था कि एक दिन जब मेरी शादी होगी तो मैं अपनी शादी का कार्ड लेकर अपने ननिहाल जरूर जाऊंगा और वहां पर सब से भेंट मुलाकात करूंगा और उनसे पूछूंगा भी कि आप लोगों ने कभी क्यों नहीं जानना चाहा कि मैं कहां हूं और कैसा हूं, जो भी दुर्घटना घटित हुई क्या मैं उस का जिम्मेदार हूं ? या मेरे कारण यह सारी घटनाएं घटित हुई?  यह सारे सवाल उसके होश संभालने से लेकर उसके जीवन के 30 सालों तक उसके हृदय में  समाई रही और एक दिन जब उसकी शादी की तारीख मुकम्मल हो गई और शादी का निमंत्रण भी छप के उसके पास आ गया तब उसने यह निर्णय लिया कि वह अपने विवाह का निमंत्रण लेकर सबसे पहले अपने ननिहाल जाएगा लेकिन मुश्किल यह थी कि उसे अपने ननिहाल के बारे में कुछ भी पता नहीं था ना यह पता था कि उसके ननिहाल में उसका कौन-कौन है और उसका ननिहाल कहां है आप यकीन कर सकते हैं कि इस 21वीं सदी में जब सब कुछ सोशल मीडिया पर और गूगल पर ढूंढने से आसानी से उपलब्ध हो जाता हो तो इस दौर में भी कोई 30 वर्षो तक अपनों को ढूंढ ना सके खैर वह अपने विवाह का निमंत्रण लेकर अपने ननिहाल पहुंच गया उसके साथ एक उस गांव का (ननिहाल)लडका भी था जिसने दूर से आ रहे लड़के के बड़े मामा को देखते ही बोला भाई वो जो मोटरसाइकिल से आ रहे हैं वही तुम्हारे बड़े मामा जी हैं लड़के ने दोस्त को धन्यवाद का और बीच रास्ते में ही सबसे पहले उसे अपने बड़े मामा से मुलाकात हुई लड़के ने उन्हें हाथ से इशारा करके मोटरसाइकिल रोकने का आग्रह किया , दोनो एक दुसरे के सामने 30 वर्षों के बाद थे पहली बार भांजे ने अपने मामा के चरणों को स्पर्श किया और कहा कि पहचानिए मुझे मैं कौन हूं मामा जी तो बहुत ही सरल सज्जन व्यक्तित्व के दर्पण थे बड़ी सहजता से कहा नहीं बेटा मैं तुम्हें पहचान नहीं पा रहा हूं फिर उन्होंने एक दो लोगों का नाम भी लिया और कहा कि क्या तुम उनके यहां से आए हो भांजे ने रूंधी गले से कहा नहीं मामा जी मैं आप का भांजा हूं आपकी एक बहन थी जो 30 साल पहले इस दुनिया को और मुझे छोड़ कर चली गई मैं उन्हीं का लड़का हूं और मैं आप का भांजा हूं, इतना सुनने के बाद मामा पहले तो कुछ सेकंड के लिए बिल्कुल सन्न रह गए फिर वह मोटरसाइकिल को संभालते हुए अपनी रास्ते को बदल दिए और मोटरसाइकिल को मोड़कर विपरीत दिशा में कर दिया और उन्होंने कहा कि बैठो गाड़ी पर घर चलो, इतना सुनते ही भांजे के हृदय में मानो संसार की सारी खुशियां समा गई हो क्योंकि ऐसी उम्मीद उसे नहीं थी उसे बचपन से यही बताया गया था कि तुम अपनी नानी के घर कभी मत जाना तुम्हारे मामा लोग बहुत ही ज्यादा गुस्से में हैं तुमसे और तुम्हारे पिताजी से भी ,बीच रास्ते से लेकर मामा के साथ वह ननिहाल की चौखट तक का जो सफर था वह बड़ा अद्भुत था जिसका वर्णन शायद ही कोई शब्दों से किया जा सके कुछ ही मिनटों के सफर के बाद लड़का अपने ननिहाल पहुंच गया, जहां पर घर की चौखट पर ही उसकी नानी बैठी मिली जानो वो आज भी चौखट पर बैठकर किसी का इंतजार कर रही थी और वह इंतजार की घड़ी आज पूरी होने वाली हो घर में प्रवेश करते ही उसके मामा उसकी नानी से कहते हैं देखो कौन आया है तुमसे मिलने तुम्हारी बेटी का लड़का आया है, लड़के को यह पता ही नहीं था कि उसकी नानी भी अभी जीवित हैं लड़का जोर से मेरी नानी बोलते ही नानी के गले से लिपट कर जोर जोर से रोने लगता है नानी भी उसे सीने से लगाकर खूब रोती हैं बहुत देर तक यह सिलसिला चलता रहता है रोने की तेज आवाज सुनकर घर के सारे लोग इकट्ठे हो जाते हैं और सब रोने लगते है कुछ देर बाद सब एक दूसरे को सांत्वना देते हैं रोना बंद होता है तो लड़का पूछता है कि आप लोग कभी क्यों नहीं आए मेरा हाल जानने के लिए मैं जिंदा हूं या मर गया हूं आप लोगों ने यह भी नहीं सोचा कि इतना भी पता करें क्या कारण था ? नानी, मामी, मामा सब बोलते है कि उन्हें पता ही नहीं था कि तुम जिंदा हो या नहीं, फिर लड़के की  मामी बोलती है कि देखो हम कह रहे थे कि लड़का अगर जिंदा होगा तो एक ना एक दिन जरूर आएगा हम लोगों को ढूंढते हुए, बेटा हमें यकीन था कि अगर तुम जिंदा होगे तो एक ना एक दिन जरूर आओगे देखो आज वो दिन आ गया, चंद घड़ी पहले जो लड़का 30 वर्ष तक अकेला था ना नानी थी ना मामा थे मामी थी उसे सब मिल गया , जिंदगी किस्मत का खेल है और किस्मत ऊपर वाले लिखते हैं कहते हैं कि हर एक घड़ी ऊपर वाले ने गढ़ी है लड़के को कुछ ही देर में एक बड़ा संयुक्त परिवार नानी मामा ,मामी बहुत ज्यादा प्यार करने वाले लोग मिल गए। कभी कभी जिंदगी में सोशल मीडिया का किरदार भी बड़ा जबरदस्त हो जाता है नानी के घर पहुंचने के बाद लड़के ने अपनी तीनों बहनों को वीडियो कॉल करके अपनी नानी को दिखाया और कहा देखो यह तुम्हारी नानी है पहले तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ लेकिन जब वीडियो कॉल के माध्यम से नानी और मामा मामी सबसे उसकी तीनों बहनों ने बात किया तो वह कई दिनों तक खुशी के आंसू बहाती रही महज कुछ घंटों में घटित इस घटना से एक लड़के के जीवन की दशा दिशा कितनी परिवर्तित हो जाती है यह शायद हम और आप ना सोच सकते हैं ना कभी महसूस कर सकते हैं ये बड़ा अद्भुत दृश्य और अविश्वसनीय घटना थी जो शायद ही कभी कहीं घटी हुई होगी। ईश्वर ना करे कि ऐसी घटना किसी और के साथ कभी घटे, जिंदगी इस कदर रंग बदलती है आप सोच भी नहीं सकते बस आपका समय अच्छा होना चाहिए ईश्वर की कृपा आप पर होनी चाहिए तो सब कुछ बहुत अच्छा हो जाता है 30 वर्षों के बेहद लंबे इंतजार के बाद उसे लड़के को उसके चार मामा और एक बेहद क्यूट सी नानी मिल जाती हैं , उसके चारों मामा बहुत ही नेक विचार और मृदुल स्वभाव के व्यक्तित्व के अपार धनी है.......... कहानी में अभी और भी मोड़ है जो आगे आपको पढ़ने को मिलेगा

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