दास्तान-ए-कोरोना कोविड-19
दास्तान-ए-कोरोना कोविड-19
देश मे हर घन्टे कोरोना वायरस की जद में आए मरीजों की संख्या में वृधि और हर रोज वैश्विक महामारी से मौत की आगोश में समा रहे लोगों का अकड़ा किसी से छुपा नही है। केंद्र और प्रदेश की सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का किस हद तक आम जनमानस पालन कर रहा है वो भी जगजाहिर है। परिस्थिति अब क्या हो चली है उसकी कल्पना सोच से परे है इतनी मौत और बचाव के लिए जन जागरण का कितना प्रभाव जनमानस पर पड़ा है वो भी शीशे की तरह साफ है। पहले कोरोना के मरीजों के मिलने पर उस एरिया और मोहल्ले को हॉटस्पॉट में तब्दील करते हुए सील किया जाता था, और बा कायदा जिओ जारी किया जाता था। आदेश की अवहेलना करने वालो पर मुकदमा भी दर्ज किया जाता था। वो एक दौर था अब मामला और गम्भीर हो गया है पहले जनपद में कोरोना पॉजीटिव मरीजों की संख्या कम थी उसके हिसाब से अब जनपद में मामला 30 गुना और 40 गुना हो गया है पहले की अपेक्षा लोग घर से जान हथेली पे लेकर निकल रहे है ये जानते हुए भी की कोरोना से बचाव का अभी कोई कारगर उपाय धरातल पर उप्लब्ध नही है। हालात अब बद से बदतर होते जा रहे हैं। आए दिन शोसल मीडिया, फेसबुक, व्हाट्सएप और टि्वटर पर कोरोना पॉजीटिव लोगों का संदेश आ रहा है, कि रिपोर्ट पॉजीटिव आने के बाद कोविड हॉस्पिटल और होम आइसोलेशन में कैसी-कैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कही पीने का पानी नही उपलब्ध हो रहा है तो कही पर एक ही बाथरूम में पचासों लोग नित्य क्रिया कर रहे है।
जो लोग अपने घरो मे होम कोरेंटिन है उनको कोई पूछने वाला नही है या यूं कहें कि वो खुद से बेगाना हो गया है। अब सब हिसाब किताब सरकारी फाइलों में क्रियावान है और धरातल पर गधे की सींग के रूप में उनकी मौजूदगी आपको हकीकत का आईना दिखा देंगी। हजारों करोड़ों रुपए का केंद्र और प्रदेश सरकार का राहत पैकेज हवा में ही हिलोरें खा रहा है। सरकारी बाबू कि मानो तो जैकपॉट हाथ लग गया है जिसको दोनों हाथों से संभाले नही सभल रहा है। फ़िलहाल कोरोना काल जंहा मुसीबतों से घिरा है वंही अपनो की जुदाई का ग़म और साथ में वायरस से लड़ने का कमज़ोर जज़्बा क्या बयाँ करता है ये वही बता सकता है जो कोविड अस्पताल य फिर घरों में ही आइसोलेट हुआ हो।
आशुतोष पाठक
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