मिठाई खाने की चाहत ने अच्छा फसाया

आज एक बहुत ही मजेदार वाकया हुआ।

वैसे तो मैं हमेशा घर में हंसता रहता हूं लेकिन आज कुछ ऐसा हुआ कि आज के जैसा मैं कभी नहीं हंसा था और अभी जब यह लिख रहा हूं तब भी मैं हंस ही रहा हूं। हँसी एकदम से कंट्रोल ही नहीं हो रही है। दरअसल कहानी कुछ इस कदर है,कि रात में खाना खाने के बाद जब मुझे नींद आने लगती है हल्की-हल्की सी, तो मैं गुड़ या कोई मिठाई खाना पसंद करता हूं। मेरी आंखों में नींद की मेघाए हिलोरें मार रही थी और मुझे तरबतर भिगो देना चाह रही थी, लेकिन मन तो मन है और भाई 'टेस्ट' भी किसी चीज का नाम होता है। तो मुझे कुछ मीठा खाने की तलब बहुत जोर से लगी और मैं मिठाई खाने के बाबत किचन की तरफ लपका। तभी मैं देखता हूं कि मेरी बीच वाली भाभी जी दरवाजे पर खड़ी हैं (वह दरवाजा किचन के दरवाजे के ठीक बगल का है) और मुझे देखते ही कह रही हैं ''आशु जरा स्टूल पकड़ लो पंखा सही हो रहा है मेरे रूम का'' मस्तिष्क में निद्रा की मेघा गरज रही थी। या यह कह ले कि मुझे तूफानी नींद आई हुई थी।मैं आधा ही होश में था। करीब मैं 'हां' कहते हुए मुस्कुराते हुए कमरे में प्रवेश करता हूं, तो एक इंजीनियर महाशय जो देश की कई बड़ी कंपनियों में इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर के पद पर काम करने का अनुभव रखते हैं, वह एक स्टूल पर खड़े होकर पंखे का कंडेनसर बदलने की प्रक्रिया में लगे हुए गर्मी से भीगे हुए थे, क्योंकि गर्मी बहुत थी और पंखा चल नहीं रहा था। फिर मैं आया और मजाक में कहा कि ''जल्दी करना यार मुझे बहुत जोर से नींद आई हुई है''। महाशय ने कहा कि ''अमेयार 2 मिनट का काम है बस''। मैंने कहा 'हां ठीक है 4 मिनट लगा लो भाई लेकिन जल्दी करो', क्योंकि मुझे भी अपने रूम की लाइट दिख रही थी और चिल्ला चिल्ला के कह रही थी कि ''अब तो मुझे बंद कर दो, सो जाओ कितना जगते हो यार''। और मैं सर नीचे करके भाभी से पूछने लगा (भाभी विदेश में रहती हैं और साल में एक दो बार ही आना होता है पर उनके बच्चे बहुत प्यारे हैं। बहुत खूबसूरत हैं हम सब उन्हें बहुत प्यार करते हैं) कि भाभी आप का पैर कैसे टूट गया था। भाभी का पैर 2 महीना पहले टूट गया था। कोरोनाकॉल की शुरुआत में ही, हालांकि मैंने उस समय कहा था कि अगर आप आना चाहे तो मैं प्रबंध कर सकता हूं तो उन्होंने मना कर दिया था कि नहीं अभी आना ठीक नहीं होगा उसके बाद भाभी का आना हुआ है, बरहाल अब पॉइंट पर आते हैं।कहानी को मैं बहुत लंबा नहीं खींचूंगा और यदि खींचूंगा तो लिखने में बहुत टाइम लग जाएगा। मैंने पूछा भाभी आप का पैर कैसे टूट गया था। भाभी ने कहा, कि किचन में एक छिपकली थी। जिसको मैं चार्ज से देख रही थी। उसके बाद वह छिपकली मेरी तरफ देखी और मैं डर कर भागी और गिर गई, और मेरा पैर टूट गया। यह बात सुनकर महाशय को इतनी हंसी आई कि वह 10,15 मिनट तक काम ही नहीं कर पाए, बरहाल हंसी समाप्त हुई। पंखा जुड़ा,महाशय नीचे आए।महाशय ने  बेड के ऊपर लगे हुए स्टूल  से अपने कदमों को  बेड पर उतारा  और उसके बाद  इलेक्ट्रिक बोर्ड की तरफ बढ़ाया और पंखे के स्विच को ऑन किया और पंखा नहीं चला। मुझे पंखे के चलने की उम्मीद भी नही दिख रही थी। कमरे में हम तीनों मौजूद थे और तीनों का सर एकाएक आसमान की तरफ उठा,ठीक वैसे जैसे 15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडे को सलामी देते हुए हम भारतवासी अपना सर  आसमान की तरफ उठाकर सैल्यूट मारते हैं और हम लोग जोर से हंस पड़ते हैं कि 'अरे यार यह तो चला ही नहीं'। फिर वहां से गंभीर होते हुए कहते हैं ऐसे नहीं होगा, हाइट कम पड़ रही है और मैं वहां पहुंच नहीं पा रहा हूं। तो वह एक और चेयर को लगाते हैं और उसके ऊपर उस छोटे स्टूल को रखकर दोबारा उस पर चढ़ जाते हैं। फिर कंडेनसर को उसमें सही तरीके से जोड़ने में इनको सफलता मिल जाती है और यह नीचे उतर आते हैं। पंखे को साफ वगैरह करके नीचे आने के बाद भाभी के हाथ में झाड़ू आ जाता है और भाभी कमरे को और बेड की बेड शीट को साफ करने, झाड़ने में लग जाती हैं। भाभी जी बड़ी मजेदार है। उनको छोटी सी बात पर भी हंसी आ जाती है, या कह ले कि खुशमिजाज हैं और झाड़ू लगाते हुए पंखे को देखती हैं और हम से कहती हैं 'आशु यह पंखा उल्टा चल रहा है क्या??' और अपने पेट को पकड़कर जोर-जोर से हंसने लगती हैं और मैं भी उस बात को लेकर बहुत हंसता हूं बहुत और इसके बाद हंसते हुए कमरे से बाहर निकलता हूं। तभी दूसरी वाली भाभी आती हैं और वह पूरी कहानी को सुनती हैं और वह भी हंसने लगती हैं। इस तरीके से घर के हर एक मेंबर आते हैं और इस कहानी को सुनकर हंसने लगते हैं। बेहद बिंदास और मजेदार रात्रि की धमाकेदार शुरुआत हुई।मैं हंसते हुए अपने कमरे की ओर बढ़ा। मेरे हाथ इलेक्ट्रिक बोर्ड की तरफ लपके  और उंगलियों ने बोर्ड की स्विच पर प्रहार किया और पूरा कमरा  अंधेरे की आगोश में सिमट गया और मैं बिस्तर पर आंखों को मूंदकर नींद की वर्षा में भीगने लगा।और इस तरह ठहाकों से भरे हुए उस घटना ने विराम लिया।

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