सहानुभूति या राजनीति

हाथरस, बुलंदशहर, बलरामपुर की घटना हो या देश के किसी भी कोने में हो रहे बेटियों के साथ जघन्य अपराध का किसी भी घटना से कम आकलन करना मानव जाति के लिए नीचता का कृत्य होगा। देश की मीडिया, शासन-प्रशासन और गिद्ध जैसी निगाहें गड़ाए बैठे विपक्ष के नेताओं से भी यह कहना चाह रहा हूं,कि किसी भी घटना को दलित या किसी भी समाज से संबोधित करना अपने आप में एक जघन्य अपराध है। बेटी किसी की भी हो बेटी- बेटी होती है, उसको चुनावी या राजनीतिक फायदे के लिए जातिगत जामा पहनाना अपने आप में एक घोर पाप हैं। जिसका प्रायश्चित इस धरातल पर नहीं है। भारत देश युवाओं का देश है। सबसे पहले उन युवाओं को सोचना होगा कि जो राजनीतिक पार्टियां चाहे वह सत्ता में है या विपक्ष में है, किसी भी घटना को किसी समाज से जोड़कर उद्बोधन करती हैं।उनके साथ आने वाले चुनाव में, जब आपकी मुलाकात आपके चौखट पर सत्ता की कुर्सी की भीख मांगने के लिए लालायित उन नेताओं से हो, तो उनसे जरूर पूछें कि आप इंसानियत के लिए, देश सेवा के लिए वोट मांग रहे हैं या अपने राजनीतिक फायदे के लिए।

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